वरासत हेतु आवश्यक डॉक्यूमेंट व प्रथम अधिकारिता का क्रम जाने

वरासत की प्रक्रिया में लगने वाले आवश्यक कागज(डॉक्यूमेंट) प्रथम अधिकारिता का क्रम जाने

जब भूमि  का खातेदार एक पुरूष हो तब  उत्तराधिकार का क्रम क्या होगा ,जानने से पहले हम जान लेते हैं कि  उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 में क्या बदलाव किए गए हैं।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अंतर्गत मृतक व्यक्ति की जमीन के कानूनी व जायज वारिस धारा 33 के मुताबिक दर्ज किये जाएंगे ।

पहले नामांतरण लेखपाल के द्वारा स्वयं कर दिया जाता था या फिर उनके द्वारा करवा लिया जाता था।इससे वरासत के मामलों को लेकर वाद विवाद की संभावनाएं दिन पर दिन बढ़ रही थी।भूलेख सहिंता के निर्माण कर्ताओं ने यह सोचकर भी निर्णय लिया होगा कि इसको भविष्य में ऑनलाइन के जरिये वरासत का आवेदन करने से समय व त्रुटिरहित वरासत सम्पन्न हो जाएगी ।

वरासत हेतु मुख्य दस्तावेज

1.राजस्व ग्राम की खतौनी
2.मृत्यु प्रमाण पत्र
3.परिवार रजिस्ट्रर की नक़ल
4.कानूनी व जायज वारिसों के आधार कार्ड

Not :-
 मृत्यु प्रमाण पत्र तथा परिवार रजिस्टर की नकल ग्राम विकास अधिकारी द्वारा बनाई जाती है।


राजस्व संहिता 2006 के पूर्व लेखपाल पक 11 के भरकर देता था।उसके बाद कानूनगो पक 11 ख भरकर र 6 रजिस्टर पर रजिस्टार कानूनगों दर्ज कर देता था। लैंड रेवेनुए सहिंता के प्रावधानों के अनुसार मृतक के वारिसों में से किसी एक के द्वारा निर्धारित प्रारूप (RC 9) पर आवेदन प्रस्तुत करना होता है। RC 9 पर मृतक व उसके वारिसों का विवरण होता है। आवेदन पत्र लेखपाल या राजस्व निरीक्षक किसी को प्रस्तुत किया जा सकता है।


वरासत आवेदन प्रपत्र RC -9

https://bhusolver.blogspot.com/rc-9.jpg
वरासत फॉर्म RC-9

आवेदन पत्र RC 9 का प्रारूपप्रायः यह देखा गया है कि जमीन के हस्तानांतरण के क्रम और उसकी वरीयता क्रम के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है।

जमीन का हस्तानांतरण पुरुष खातेदार के संदर्भ में उ० प्र० राजस्व संहिता की धारा 108 के अनुसार होता है जो निम्नवत है।


इस क्रम में पहले आने वाला क्रम अपने आने वाले क्रम से प्रभावी होगा तथा प्रत्येक क्रम में अंकित व्यक्ति समान अंश के हकदार होंगे। अर्थात यदि पहले क्रम में कोई वारिस नही मिलता है तभी दूसरा क्रम देखेंगे।

विधवा, अविवाहित पुत्री, पुत्र ( यदि पुत्र की भी मृत्यु हो जाती है तो उसके पत्नी व पुत्र को वह अंश मिलेगा जो उसे जीवित होने पर मिलता)

माता और पिता ।

विवाहित पुत्री ।

भाई और अविवाहित बहन । (एक ही पिता के)

पुत्र की पुत्री ।

पिता की माता और पिता के पिता ।

पुत्री का पुत्र ।

विवाहित बहन ।

सौतेली बहन ।

बहन का पुत्र ।

सौतेली बहन का पुत्र ।

भाई के पुत्र का पुत्र ।

चाचा ।

चचेरा भाई ।

मामा ।

एक से अधिक पत्नी होने पर सबका अधिकार समान होगा। परंतु यदि पत्नी दूसरी शादी कर लेती है तो उसका कोई अधिकार नही होगा।
अविवाहित पुत्री को अधिकार UP ZLr  अधिनियम में वरासत में हक़ पाने  का प्रावधान नहीं था लेकिन इस अधूरे काम को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 में पूरा कर दिया गया।



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