धारा:-67 ग्राम सभा की सम्पत्ति की क्षति उसका दुरुपयोग और गलत अधियोग रोकने की शक्ति।
जैसा धारा 59 व्याख्या करती है कि राज्य सरकार भूमि व अन्य सम्पतियों का अधीक्षण सरंक्षण व प्रबंधन करने हेतु वह भूमि प्रबन्धन समिति व अन्य स्थानीय प्राधिकरण को सौप सकती है।जो राज्य सरकार के अधीन भूमि सम्पत्तियां व अन्य सम्पतियाँ हैं।जिस प्रकार संसद लोकसभा व राज्यसभा से मिलकर बनती है लेकिन राष्ट्रपति को भी इस निकाय में जोड़ा जाता है ।ठीक उसी प्रकार भूमि प्रबंधन समिति में लेखपाल को भी वही दर्जा प्राप्त है भूमि प्रबन्धन समिति के सदस्य कहलाने का हालकि वह उस ग्राम सभा का नागरिक नहीं होता।लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक लेखपाल को उस समिति का सदस्य नहीं माना लेखपाल को भूमि प्रबन्धन समिति का सचिव का दर्जा दिया है अब हम कह सकते हैं कि ग्राम सम्पत्ति की समस्त प्रकार से सुरक्षा करना 1 स्थानीय प्राधिकरण 2 भूमि प्रबंधन समिति 3 लेखपाल का दायित्व है।यदि क्षेत्र में जाँच के उपरांत पता पड़ता है।अतिक्रमण कर्ता द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है तो उस की सूचना RC प्रपत्र 19 भर कर सहायक कलेक्टर को देंगे।
इस सम्बंध में उपधारा 1 के अधीन अतिक्रमण करता को। अतिक्रमण करता के नाम नोटिस RC प्रपत्र 20 पर भेजा जाएगा।यदि अतिक्रमण कर्ता उपधारा 3 के अधीन वह निश्चित समय के अन्दर अपने ऊपर आरोप को गलत होने का प्रमाण साबित कर दें।यदि निश्चित समय अबधि के अन्दर यदि अपना बयान नहीं देता है तो बेदखल की कार्यवाही की जायेगी।उपधारा 4 के अधीन यदि उस पर लगें आरोप बे बुनियाद हैं तो कार्यवाही वहीं पर स्थगित कर दी जाएंगी।
उपधारा धारा 3 व 4 के अधीन सहायक कलेक्टर के आदेश से व्यथित व्यक्ति आदेश दिनांक के 30 दिन के अन्दर कलेक्टर के यहाँ अपील कर सकता है।
Dhara 115 c k ba ray may btao
ReplyDeleteपरिच्छेद 115 सी व धारा 67 एक ही हैं ।धारा 67 (1)उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा है।परिच्छेद 115 सी उत्तर प्रदेश जमीनदारी व भमि विनाश अधिनियम 195 की नियमावली का परिच्छेद है।
Deleteअगर सहायक कलेक्टर कार्यवाही न करे तो क्या करे
ReplyDeleteयदि आप सहायक कलेक्टर की कार्यवाही से असंतुष्ट हैं तो आप कलेक्टर यहाँ अपील कर सकते हैं।
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