जमींबन्दी एक माँग व वसूली पंजी है।इस पंजी में उन्हीं कास्तकारों को शामिल किया जाता है जिनके पास जमींबन्दी बनाते समय 3.126 एकड़ या 3-1/8 एकड़ भूमि धारण किये होते हैं। भू लेख नियमावली के नियम 154 क में व्याख्या की गई है कि जब भी राज्य सरकार मालगुजारी या लगान में छूट या स्थगन का आदेश निकालती है तब लेखपाल आदेश के मुताबिक खतौनी के विशेष विवरण कॉलम 13 में लाल स्याही से स्थगन व छूट के आदेश अंकित कर देगा। इसके उपरांत खतौनी के क्रम से एक क्रमांक अनुसार लिस्ट तैयार कर लेगा। साथ में राजस्व ग्राम के श्रेणी 3 के असामी काश्तकारों की भी लिस्ट तैयार करेगा इसका व्यख्यान भू लेख नियमावली के नियम 36 ख पर पहले अंकित किया गया था लेकिन इसका आदेश संसोधन भू लेख नियावली के नियम 131 में व्याख्या की गई थी।इसको आकार प्रपत्र ZA 62 ख पर तैयार किया जाता है।जमाबन्दी तैयार करके राजस्व निरीक्षक से जाँच कराके तहसीलदार के हस्ताक्षर कराने के बाद राजस्व ग्राम के प्रधान को सौप देगा। अन्य की जमाबन्दी आकार प्रपत्र ZA 62 पर तैयार की जाती है।जमाबन्दी में 24 कॉलम होते हैं। जमींबन्दी को लेखपाल व अमीन मिलकर बनाते हैं।लेखपाल के लिए बाएं पृष्ट 11 स्तम्भ होते हैं इनमें संसोधन करनें का अधिकार अमीन पास नहीं है।अमीन अपने सभी आवश्यक तथ्य दाँये पृष्ट के 13 स्तम्भ ही दर्ज करेगा अर्थात बायें पेज पर हस्तक्षेप करने का अधिकार उनको नहीं दिया गया है।छूट व स्थगन लगान व मालगुजारी को अंकित करने का अधिकार लेखपाल में ही निहित किया गया है। लेखपाल अमीन आकार प्रपत्र ZA 62 E की सहायता से सभी आवश्यक तथ्यों की भर के।शुद्ध लगान निकाल लेते हैं।लेखपाल में निहित सभी राजस्व ग्राम का लगान (अर्थात जमाबन्दी का गौशावारा)आकार प्रपत्र ZA 63 पर तैयार किया जाता है।अंत में यह W B N कार्यालय से लगान उगाही हेतु अमीन को प्राप्त हो जाती है।