UP revenue code 2006 sec 24 के तहत एक हज़ार में एक से अधिक गाटाओं का सीमांकन कैसे करवाएं जाने | bhusolver |

 UP revenue code 2006 sec 24 के तहत एक हज़ार में  एक से अधिक गाटाओं का सीमांकन कैसे करवाएं जाने।

प्रिय किसान भाइयों जैसा कि हम एवं आप स्वयं भलीभांति जानते हैं, आपका अधिकतम समय खेतों, खलियानों में जुताई बुआई कटाई आदि कार्यों में  व्यतीत होता है।आप चाहतें की अधिकृत भूमि का एक एक कोने का सदुपयोग किया जाये।लेकिन कभी कभी  अधिकृत भूखण्ड के बड़े हिस्से पर अनधिकृत व्यक्ति लाभ लेता रहता है।और पैसे के अभाव  ,आवश्यक कागजात की जानकारी के अभाव एवं गलत अफवाह के शिकार होने की बजह से आप खेतों में स्वयं को कुंठित महसूस करते रहते हैं।कुंठित रहने की बजह से आप अपनी उर्जा का सदुपयोग  कार्य सम्पन्न कर में नहीं लगा पाते है।इसी प्रकरण को ध्यान में रख़ते हुए आसान शब्दों में खेत के सीमाकंन का मार्मिक विश्लेषण किया गया है।निम्नलिखित आलेख पढ़े।



उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 24 व उत्तर प्रदेश  नियमावली अधिनियम के नियम 22 के अंतर्गत उल्लेखित रीति के अनुसार  भूखण्ड की सीमाओं का सीमांकन किया जाता है।सीमांकन का आशय उस पैमाइस से जिसमें कास्तकार को महसूस होता है कि मेेरे खेत का रकबा (revenue land record) खतौनी के समतुल्य नहीं है  तो वह सीमांकन कराने के लिए  उपजिलाधिकारी महोदय  यहाँ  विहित रीति से प्रार्थना देता है।
https://bhusolver.blogspot.com/boundary-dispute-solution-by-up-revenue-code-sec-24/
Boundary-dispute by sec 24
आवेदन में निम्न बिन्दुओ का होना आवश्यक है -
1. सम्बन्धित ग्राम का नाम जिसमें सीमांकन किया जाना है।
2.गाटा संख्या /भूखण्ड संख्या plot number 
3.रकबा /क्षेत्रफल Area 
4.संक्षिप्त विवरण - आवेदक को संक्षेप में उल्लेखित करना चाहिए कि ,मेंरे खेत की  मेड़ो के अगले बगल के इन व्यक्तियो के खेत हैं,जिसमें मुझे प्रतीत होता है कि उक्त व्यक्ति द्वारा मेरे भूखण्ड को कब्जा करने की अवैधानिक कोशिश की जारी है।जिनका उल्लेख अग्रलिखित है।

सीमांकन हेतु निम्न अभिलेखों का होना नितांत आवश्यक है।

1.उस भूखण्ड की खतौनी जिसका सीमांकन किया जाना 
2.खसरा 
3.प्रमाणित नक्शा 
4.शुल्क ड्राफ्ट -सामान्यत प्रति खेत की पैमाइस अर्थात सीमांकन हेतु सरकार खाते में एक हजार रुपये किसान को खर्च करना होता है।किन्तु यदि उसी काश्तकार के खेत की कोई भी एक  मेड़ आपस में जुड़ी हुई है तो वह उसी एक हजार के शुल्क में एक से अधिक भूखण्ड की पैमाइस करा सकता है।जिसका स्पष्ट उल्लेख उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की दफा 24 में किया गया है।

UP revenue code 2006 ki dhara 24 ke तहत वाद कहा दर्ज करवाया जाता। 

जब किसान सभी उपरोक्त कागज़ातों को पूर्ण कर लेता है तो वह अपनी तहसील में श्रीमान उपजिलाधिकारी अधिकारी महोदय के कार्यालय में जाँच हेतु सभी कागजात प्रार्थना पत्र के साथ देता है,जाँच में सही पाए जाने पर ।उक्त का वाद पंजीकरण कर लिया जाता है, तत्क्रम में उपजिलाधिकारी संबंधित कानूनगो पैमाइस हेतु पत्रावली के साथ निर्देशित कर देता है।

पैमाइस से पूर्व कानूनगों के दायित्व 

पैमाइस की तिथि निर्धारित होने पर ।पैमाइस से पूर्व कानूनगो संक्षिप्त विवरण को पढ़ेगा और उसमें  उल्लेखित उन सभी किसानों को सीमांकन की निर्धारित तिथि पर उपस्थित रहने के लिए सूचित करेंगा या करवाएगा, जिन किसानों का भूखण्ड पैमाइस करवाने वाले किसान के सन्ननिकट आता है।

पैमाइस के दिन ,राजस्व निरीक्षक स्पॉट मेमो मौके पर ही तैयार करेगा। तथा जिन किसानों के खेत का कुछ भाग  भूखण्ड निकलता है उनको मौके पर ही राजस्व निरीक्षक बताएगा व आवदेक को भी उस उक्त अतिरिक्त जमीन के बारे में बताएगा।जो उसे प्राप्त होनी है।

पैमाइस के उपरांत आपत्तियां
पैमाइस के 15 दिन के भीतर, सन्निकट किसान उपजिलाधिकारी के यहाँ आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
कभी कभी कानूनगों की पैमाइस से आवदेक सन्तुष्ट  नहीं होता है।तो ऐसी स्थिति में वह पुनः पैमाइस करवाने हेतु आपत्ति दर्ज कराता है।ऐसी स्थिति में पुनः पैमाइस का आदेश स्वयं उपजिलाधिकारी  स्वविवेक पर लेते हैं।

फील्ड बुक 

राजस्व निरीक्षक फील्ड बुक उपजिलाधिकारी के न्यायालय में पेश करेगा।फील्ड बुक व आपत्तियों के निस्तारण के उपरांत ।अंतिम कार्यवाही पत्थर नसब की है।
पत्थर नसब के दिन कानूनगों  को लगें की पत्थर नसब के समय कुछ वाद विवाद घटित हो सकता है तो वह पुलिस बल को अपने साथ लेकर लेकर,पत्थर गड़वायेगा।
वहीँ से कास्तकार अपनी मेड़बन्दी अर्थात हदबन्दी कर लेगा।

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