क्या आप बखिरा पक्षी विहार के बारे में रोचक जानकारी हासिल करना चाहते हैं ।


पृष्ठिभूमि : -
बखिरा झील उत्तर प्रदेश के जनपद सन्त कबीर नगर  के बखिरा ग्राम के नजदीक स्थित है।इसके बारे में जानने की चाहत हर किसी पर्यटक एवं हर जनमानस के मन में रहती है।रहना स्वाभाविक है हर कोई अपने आँगन में चाँद देखना चाहता है ।यह चाँद की कथा से कम भी नहीं है क्योंकि इसी झील में पक्षी लगभग 5000 km की दूरी तय करके यहाँ प्रस्थान करते हैं।वैसे तो कितने भारत की कितनी झीलें मार्ग में पड़ती होंगी लेकिन यह झील विदेशी पक्षी चीन तिब्बत ,यूरोपियन व साइबेरियन पक्षियों  के लिए ठंड माह का मौसम  अक्टूबर व फरबरी  तक इन विदेशी पक्षियों के लिए अनुकूल रहता है।बखिरा पक्षी विहार बहुत बड़े जलीय भूभाग में पहला है।जो उनके विचरण व अनुकूल खाद्य सामग्री को सजोये हुए।पर्यटक इस स्थल पर आकर अपने सपनो को साकार करते हैं मन मे पल्लवित अभिलाषा को शांत करते हैं ,स्वच्छ वातावरण उनके जीवन के लिए और मनमोहक बना देता है।पक्षियों का कलरव लम्बे समय तक ठहरे को मजबूर करता है।विभिन्न रंग के पक्षी आँखों में एक अजब से चमक पैदा करते हैं।नावों में यदि आप बैठकर भ्रमण करते हैं तो आप पक्षियों की प्रत्येक कलावृति का अवलोकन कर सकते हैं जो आपको मुस्कराने पर विवश कर देती है।आप मौका निकालकर इस विविधता से परिपूर्ण एवं रमणीय स्थल का आनन्द लें।

इतिहास से इसका जुड़ाव :
 स्थानीय लोगों द्वारा उक्त झील के संबंध में बताया गया कि इस झील को मोटी झील कहते थे,किन्तु पूर्वज द्वारा बताया जाता था,जो वर्तमान में झील है वह कभी नगर हुआ करता था।किन्ही परिस्थितियों में इसका विनिष्ट हो गया कारणअभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।क्षेत्रफल के अनुसार अनुमान लगाया जा सकता है।कि कभी यह किवदंती सत्य होगी।बखिरा झील 29.2km में फैली है।

पहुँचने का मार्ग 
संतकबीर नगर जनपद मुख्यालय खलीलाबाद से करीब 18 से 20 किमी दूर उत्तर दिशा में खलीलाबाद-मेहदावल मार्ग पर स्थित बखिरा कस्बे से तीन किमी पूर्वी भाग में स्थित है। इस पक्षी बिहार के विस्तृत भूभाग में विचरते पक्षियों को देखने के लिए सैलानी यहां आ सकें, इसके लिए बखिरा से 3 किमी दूर बखिरा सहजनवां मार्ग पर जसवल के पास उत्तर की ओर आधा किमी लंबी सड़क बनी है।

पक्षी विहार में पक्षियों एवं जलीय पौधे की विविधता 
गोन, पटेरा, पोंटे, मोगटान, जेनीचेला, कटिया,



लियोफाइटान, काई-शैवाल, फीताधारी, कुमुदनी, कमलिनी, सफेद कमल आदि तथा जलचरों मे विभिन्न प्रकार की मछलियां, कछुए, केंकड़े, भांकुर, पतासी, टेंगन, सर्प आदि की विविध प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। झील का पानी जमीन की आर्द्रता बनाए रखने में फायदेमंद है।

उच्च स्तरीय पर्यटक बनने में बाधा कौन कौन सी है। एक नजर।
यहां के स्थानीय लोगो से पूछताछ के आधार पर आंकलन लगाया गया।उनका कहना जो आपका जलीय भूभाग प्रदर्शित हो रहा है इसके तटीय क्षेत्रों पर विभिन्न किसानों के संक्रमणीय भूमि है।जिनका अभी तक अधिग्रहण नहीं हुआ है।अगर इनका अधिग्रहण हो गया होता तो यह तट विभिन्न स्थानीय व राज्य स्तरीय योजनाओं से आच्छादित हो जाता ।इस तट पर आप देखकर रहे हैं।यहाँ का पर्यटन निश्चित महीनों में ही अधिक होता है।यदि इसका सुंदरीकरण हो गया होता तो निश्चित ही वर्षभर पर्यटकों का आवागमन होता ,फलस्वरूप आजीविका के साधन व्युत्पन्न होते ।इस पर सरकार को व स्थानीय नेताओं को अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए।

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