आयातकार आकृति का क्षेत्रफल  बेलनाकार आकृति के वक्र पृष्ठ के समतुल्य होता हैं।

आयातकार आकृति का क्षेत्रफल  बेलनाकार आकृति के वक्र पृष्ठ के समतुल्य होता हैं।
यदि हम बेलनाकार आकृति का कोई एक ऐसा डिब्बा लेते हैं ।जिससे के दोनोँ ढककर खुलते हो।लेने के बाद  दोनों ढककर खोलने के बाद ,इस प्रकार काटते हैं कि आकृति आयताकार रूप में बने।तब हमको नजर आता है जो उसका बेलनाकार आधार था वह चौड़ाई नजर आती हैं।तथा उसकी लम्बाई, ऊँचाई h नजर आती है।तब कह सकते हैं कि आयात का चौड़ाई बेलनाकार आकृति की ऊँचाई कहलाती है।तथा आयत की लम्बाई बेलनाकार आकृति का आधार कहलाती है यहाँ आधार से तात्पर्य वृताकार परिधि को जोड़कर लगाया जाता है।
आयत का क्षेत्रफल =बेलनाकार आकृति का वक्र पृष्ठ
लम्बाई ×चौड़ाई =आधार (वृत का परिधि)×ऊँचाई
                       =2πr×h=2πr h
बेलनाकार आकृति के सम्पूर्ण पृष्ठ= दोनोँ ढककर का क्षेत्रफल और जोड़ लेते हैं।तब आपको बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ।
        S=2πrh+2π×sqr of r= 2π sqr of r +2πrh
         बेलन का सम्पूर्ण पृष्ठ   =2πr(r+h)
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