- उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2016 की प्रमुख विशेषताएँ
- उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 98 के अंतर्गत ,अब अनुसूचित जाति का व्यक्ति बिना किसी अनुमति के अपनी भूमि अनुसूचित जाति के व्यक्ति को बेच सकता है। अन्य किसी जाति के व्यक्ति को बेचने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। नए प्रावधानों में 3.125 एकड़ भूमि की बाध्यता समाप्त कर दी गई है।
- काश्तकार के अंश का अंकन खतौनी में किया जाएगा।
- आबादी की भूमि का दाखिल खारिज भी होगा।
- नई राजस्व संहिता मे मेड़बंदी के मुकदमे 3 माह में निस्तारित करने की समय सीमा निर्धारित की गई है।
- राजस्व संबंधी वादों के त्वरित निस्तारण के लिए न्यायिक अधिकारियों की तैनाती होगी, जो सिर्फ राजस्व संबंधी मुकदमे ही सुनेंगे।
- आवंटन होने पर प्राप्त करता के साथ उसकी पत्नी का नाम भी अंकित किया जायेगा इस प्रावधान को इस लिए जोड़ा गया है जिससे महिला सशक्तिकरण का भावना जागृत हो।
- धारा 33 (1) के अंतर्गत मृतक व्यक्ति के उत्तराधिकार के मामलें में अब अविवाहित पुत्री, पुत्र व विधवा का नाम प्रथम श्रेणी के हक़दार के तहत अंकित किया जायेगा।
- जब बकाया राशि 50 हजार से कम है तब बकायेदार को बकाया राशि के लिए बन्दी नहीं बनाया जाएगा।
- सरकार को आवश्यकता होने पर भूमि की श्रेणी भी बदल सकेंगी।
- जब जोत में एकाधिकार जोतदार हो तो भौतिक विभाजन नक्शे पर भी करेगा।ऐसा इस संहिता में परिभाषित किया गया है।
त्रुटि होने पर अपनी कीमती सलाह दे सकतें हैं आपका तहे दिल से स्वागत है।