How to make-khasara-in-up-revenue| खसरा|


(U.P Khasra)खसरा या क्षेत्र पंजी बारें में-


खसरा राजस्व विभाग का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज (document )है इसको सामन्यतः खसरा कहते हैं इसका दुआरा नाम क्षेत्र पंजी भी है।

खसरे की उपयोगित

खसरे के अंदर आपको समस्त गाटाओं की खरीफ, रबी व जायद से सम्बंधित फसलों के साथ -साथ उसके ग्राम में स्थिति सिंचाई के साधन व अनुप्रयोग में लायी जा भूमि का क्षेत्रफल भी उपलब्ध देख को मिल जाता है।जिससे समस्त एक वर्षीय खाद्य व अखाद्य फसलों का एक डेटा हमको मिल मिल जाता है।
सरकार समस्त ग्रामों का डेटा लेकर आवश्यक विक्रय मूल्य का निर्धारण व भूमि उपजाऊ हेतु विभिन्न प्रकार उपागम किसानों को आवश्यक छूट के साथ उपलब्ध कराती है।

लेखपाल के लिए उपयोग्यता

जब राजस्व लेखपाल पैमाइश हेतु हल्के अर्थात क्षेत्र में जाता है तो वह अगल बगल के प्लॉटों को शीघ्र से ढूढ़ लेता है क्योंकि खतौनी(revenue khatauni) भिन्न इसका निर्माण कार्य होता है इसको क्रम बार प्लॉटों(गाटा) के मुताबिक बनाया जाता है।हम कह सकते हैं कि खसरे के माध्यम से प्लॉटों जल्दी ढूढ़ लिया जाता है।जिससे समय की बचत होती है।

खसरा (क्षेत्र पंजी)किस प्रकार तैयार किया जाता है।


खसरा  क्षेत्र पंजी भी कहलाता है।खसरे को आकार पत्र प क 3 पर तैयार किया जाता है। जहां जमींदारी है वहाँ इसको प्रपत्र प 3 पर तैयार किया जाता है।सामान्यत खसरे को 1 अगस्त से 9 अगस्त तक तैयार कर लेना चाहिये।हम याद दिला दे ,जहाँ आज भी जमींदारी है वहाँ आज भी खसरे में 22 स्तम्भ होते हैं।क्योंकि इसमें खेवट वाला कॉलम बढ़ जाता है।जबकि जमींदारी विनाश वाले क्षेत्र में यह स्तंभ कम हो जाता है।तब सम्पूर्ण खसरे में 21 कॉलम रहते हैं।
खसरे के 1 से 5 तक कॉलम पिछले खसरे एवं खतौनी से दर्ज करेंगे।यह काम 1 से 9 अगस्त तक हो जाना चाहिए।7 से 9 खरीफ फसल का ब्यौरा,10 से 12 रबी फसल का ब्यौरा,13 से 15 जायद फसल का ब्यौरा।हर फसल ब्यौरे के स्तम्भ को तीन उप भागों में बांटेंगे जिसमें प्रथम उप कॉलम फसल का नाम ,दूसरा सिंचित क्षेत्रफल,तीसरा असिंचित क्षेत्रफल इसी तरह से 7 से 15 तक भरेंगें।आपको याद दिला दे कि कॉलम 6 तीनों पड़तालो में भरा जायेगा यह कॉलम संचित के साधन बताता है।कॉलम 16-17 में द्विफसली क्षेत्रफल दर्शाया जाता है।16 वे कॉलम में सिंचित का क्षेत्रफल व 17 वे में असिंचित का क्षेत्रफल दर्ज किया जाता है।18 व 19 अकृषित भूमि का प्रकार व उसका क्षेत्रफल को दर्शाता है।कॉलम 20 ,पेड़ों की संख्या व पेड़ का नाम बताता है।अंतिम कॉलम 21 विशेष टिप्पणी के लिए आकार पत्र प क 3 पर तैयार किया जाता है। जहां जमींदारी है वहाँ इसको प्रपत्र प 3 पर तैयार किया जाता है।सामान्यत खसरे को 1 अगस्त से 9 अगस्त तक तैयार कर लेना चाहिये।हम याद दिला दे ,जहाँ आज भी जमींदारी है वहाँ आज भी खसरे में 22 स्तम्भ होते हैं।क्योंकि इसमें खेवट वाला कॉलम बढ़ जाता है।जबकि जमींदारी विनाश वाले क्षेत्र में यह स्तंभ कम हो जाता है।तब सम्पूर्ण खसरे में 21 कॉलम रहते हैं।

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