ट्रिक:- दन्ति काले थे।ध्रुव के सुपुत्र गोविंद नहीं ।अमोघ इंद्र से तीन गुने काले नहीँ थे।जो काले थे।वे कृष्ण थे।कृष्ण तिरंगी थे।इसलिए चोल परांतक से न हारे थे। राजा तैलप ने अंतिम शासक कर्क को अंतिम युद्ध में राष्ट्रकूट शासन से क्रेक कर कल्याणी के चालुक्य वंश की नींव डाली।
राष्ट्रकूट वंश की स्थापना दन्तिदुर्ग ने आठवी शताब्दी के मध्य 752 ईसवी में की थी।दन्तिदुर्ग के बाद उसका चाचा कृष्ण प्रथम बना उसने बादामी के चालुक्यों का विनाश कर दिया।गोविन्द द्वितीय के बाद उसका सुपुत्र ध्रुव (धारावर्ष )780 ई वी में शासक बना।ध्रुव ने अपने तीसरे योग्य पुत्र गोविन्द तृतीय (793-814) के पक्ष में शासन छोड़ दिया।गोविंद का अल्पव्यस्क पुत्र अमोघवर्ष (814-876) में ईसवी कर्क के संरक्षण में शासक बना।अनुमान के मुताबिक इंद्र(915-927) व कृष्ण तृतीय(939-965) थे।कृष्ण तृतीय ने है चोल राजा परांतक प्रथम को पराजित किया था।कृष्ण तृतीय की मृत्यु होने के पश्चात उसके निर्बल उत्तराधिकारी के बीच आपसी ग्रह युद्व होने लगा।जिसका फ़ायदा उठाकर मालवा के परमारों ने स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी।जो पहले राष्ट्रकूट के सामन्त थे।सन 974-975 ईसवी में चालुक्य राजा तैलप द्वितीय ने राष्ट्रकूट वंश के राजा कर्क द्वितीय को परास्त कर के राष्ट्रकूट राज्य पर अधिकार कर लिया और कल्याणी के चालुक्य वंश की स्थापना की।