खसरा क्षेत्र पंजी भी कहलाता है।खसरे को आकार पत्र प क 3 पर तैयार किया जाता है। जहां जमींदारी है वहाँ इसको प्रपत्र प 3 पर तैयार किया जाता है।हम याद दिला दे ,जहाँ आज भी जमींदारी है वहाँ आज भी खसरे में 22 स्तम्भ होते हैं।क्योंकि इसमें खेवट वाला कॉलम बढ़ जाता है।जबकि जमींदारी विनाश वाले क्षेत्र में यह स्तंभ कम हो जाता है।तब सम्पूर्ण खसरे में 21 कॉलम रहते हैं।
खसरे के 1 से 5 तक के कॉलम पिछले खसरे एवं खतौनी से दर्ज करेंगे।यह काम 1 से 9 अगस्त तक हो जाना चाहिए। कॉलम 7 से 9 तक खरीफ फसल का ब्यौरा,कॉलम 10 से 12 तक रबी फसल का ब्यौरा,कॉलम 13 से 15 तक जायद फसल का ब्यौरा।हर फसल ब्यौरे के स्तम्भ को तीन उप भागों में बांटेंगे जिसमें प्रथम उप कॉलम फसल का नाम ,दूसरा सिंचित क्षेत्रफल,तीसरा असिंचित क्षेत्रफल इसी तरह से 7 से 15 तक भरेंगें।आपको याद दिला दे कि कॉलम 6 तीनों पड़तालो में भरा जायेगा यह कॉलम संचित के साधन बताता है।कॉलम 16-17 में द्विफसली क्षेत्रफल दर्शाया जाता है।16 वे कॉलम में सिंचित का क्षेत्रफल व 17 वे में असिंचित का क्षेत्रफल दर्ज किया जाता है।18 व 19 अकृषित भूमि का प्रकार व उसका क्षेत्रफल को दर्शाता है।कॉलम 20 ,पेड़ों की संख्या व पेड़ का नाम बताता है।अंतिम कॉलम 21 विशेष टिप्पणी के लिए है