प.क 23 व आर सी प्रपत्र 38 में क्या अंतर है।

प.क 23 व आर सी प्रपत्र 38 क्या है?

दोनों ही प्रपत्र खतौनी बनने के उपरान्त त्रुटि ठीक करने से सम्बंधित हैं ।लेकिन जब से राजस्व सहिंता उत्तर प्रदेश में लागू की गए है तब से प.क 23 शुद्धिकरण प्रपत्र का चलन बन्द हो गया है लेकिन प क  23 के माध्यम से कैसे त्रुटि को शुध्द किया  जा सकता  है जानना जरूरी है  क्योंकि यहां से हमकों आर सी प्रपत्र 38 के द्वारा शुद्धिकरण करने के तरीका  समझ  आ जायेगा ।
चलिये समझते हैं
             जब हमको स्वतः या किसी कास्तकार के द्वारा पता चलता है कि खतौनी बनने के उपरांत भूल वश लिपिकीय त्रुटि हो गई है तब हम पहली खतौनी की नकल लगा कर ,शुद्धि पत्र  अर्थात पक 23 भर देते थे ।भरने के बाद सम्बंधित राजस्व कानून को दे देते थे ।इस प्रकरण को तहसीलदार या नायब तहसीलदार  महोदय प्रकरण की जाँच कर ,संशोधन हेतु अपनी संतुति प्रदान कर देते हैं। इसके बाद रजिस्टार कानूनगो आर 6 रजिस्टर अर्थात मालिकान रजिस्टर पर आदेश  चढ़ाने के बाद कम्प्यूटराइज्ड  खतौनी पर आदेश चढ़ा दिया जाता था।
लेकिन जब से राजस्व सहिंता लागू हुई है तब से लेखपाल अभिलेखीय जाँच करके ,अपनी रिपोर्ट राजस्व कानूनगो को प्रेषित कर देता है। अर्थात नायब  व तहसीलदार महोदय का प्रकरण छूट जाता है।जिससे कास्तकारों को पहले से अब कम भागदौड़ करनी पड़ती है व निस्तारण का समय भी सीमित कर देंने से राजस्व समस्याओं का दायरा कम हुआ, पहले की अपेक्षा।लगातार कम होगा।

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