Happy new year |
Happy new year wish krne mein bhartiya bhi age lekin dinkar kyon pichhe batao hmko
1 जनवरी को नव वर्ष का प्रवेश द्वार मान सकते हैं पश्चिमी देशों के समुदाय औऱ नये कार्य करने की रूप रेखा बना सकते हैं क्योंकि जनवरी नये साल का प्रथम पहर है।लेकिन wish करने का जहर कहाँ से फैल गया आज तक पता नहीं चल पा रहा है।आँखे मूद कर wish करने के लिए भारत भी इस दौड़ में शमिल हो गया है दौड़ में शामिल होना तब अच्छा माना जाता प्रेमत्व भाव में जब हम अपना नव वर्ष मना लेते।जनवरी की महीना wish करने के लिए भारतीयों के लिए जलवायु अनुकूल भी नहीं है इन दिनों अधिकतर भारतीय कड़कती ठण्ड में घर मे ही छिपे रहते हैं सिर्फ मौसम प्रतिकूल होने के कारण।लेकिन चंद महीने बाद #चेत का महीना आता है जिस में भारतीयों का #नव वर्ष आता है।चंद दिन बात फाल्गुन का महीना आता है उमंग में उमंग बढ़ती रहती है,क्योंकि होली आने वाली होती है बच्चे खुद में गुलाल की खुशबू संजोये बैठे होते हैं।खुशी का अंत समाप्त नहीं यदि नव वर्ष शुभकामनाएं चेत की प्रथम तिथि को सभी भारतीय दें।ऐसा करने से एक बार फिर पिश्चमी देशवासियों को पता चल जायेगा कि भारतवासी अभी भी अपनी विरासत पर गर्व करते हैं।प्रसिद्ध पानी हो तो कुश्ती सदैव सर्वगुण सम्पन्न पहलवान से ही लड़नी चाहिए जिससे चन्द समय में श्रेष्ठता हासिल कर लें। नव वर्ष पर दिनकर की यह कविता बहुत बल देती है हमकों आसमान छुआने के लिए।
श्री रामधारी सिंह दिनकर की कविता---!
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं