About Indian constitution article -93
Article 93 |
लोक सभा का सभापतित्व करने के लिए एक अध्यक्ष होता है। साधारणतया उसकी स्थिति वही है जो इंग्लैंड के हाउस आफ कामंस में स्पीकर की है।
लोक सभा अपनी पहली बैठक के पश्चात यथाशीघ्र अपने दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनती है [अनुच्छेद 93] अध्यक्ष या उपाध्यक्ष सदन के जीवनकाल पर्यन्त अपना पद धारण करेगा किंतु उसका पद निम्नलिखित रूप से इसके पहले भी समाप्त हो सकता
है (i) उसके सदन के सदस्य न रहने पर, (ii) यदि वह अध्यक्ष है तो उपाध्यक्ष को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा पद त्याग करने पर (उपाध्यक्ष की दशा में त्यागपत्र अध्यक्ष को सम्बोधित होगा), (iii) लोक सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा उसे अपने पद से हटाए जाने पर [अनुच्छेद 94]। ऐसा संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम 14 दिन की सूचना न दे दी गई हो। जब अध्यक्ष को हटाने के लिए संकल्प विचाराधीन है तो अध्यक्ष पीठासीन नहीं होगा किंतु उसे लोक सभा में बोलने और उसकी कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार होगा। उसे मत देने का भी अधिकार होगा किंतु मत बराबर होने की दशा में मत देने का अधिकार नहीं होगा।
सदन के अन्य अधिवेशनों का सभापतित्व अध्यक्ष करेगा। अध्यक्ष पहली बार मत नहीं देगा किंतु मत बराबर होने की दशा में उसका निर्णायक मत होगा।