राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाली फसली वर्ष को जानना क्यों आवश्यक है ?



राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाली फसली  वर्ष को जानना क्यों आवश्यक है ?





मित्रों ,भारत कृषि प्रधान देश है लेकिन हमको कदापि नहीं भूलना चाहिए की किसान कोई भी चाहें बड़े या छोटे काश्तकार हो कृषि दस्तावेज में त्रुटि होने पर कचहरी के तो चक्कर लगाने ही पड़ते हैं।लेकिन हम आपको याद दिला दें कि तहसील में समस्त कागजात की कार्यवाही विधिवत फसली वर्ष दर्ज करते हुए की जाती है,इस सम्बंध में अधिकतर अधिवक्ता बंधु भली भांति जानते हैं, फसली वर्ष के कहाँ देखी जा सकती है तो आप,भूलेख खतौनी , वरासत ,बैनामा की दाखिल खारिज ,त्रुटि का आदेश ,आदि पर देख सकतें हैं,
फसली वर्ष की जानकारी से फायदा क्या है।
   जब हमकों मुआयना करना होता तब हम फसली की जानकारी भली भांति होना चाहिए ,जिससे  कम समय में प्रकरण सम्बंधित तथ्यों को देख ले।जानकारी  होने पर भूलेखागार में से फसली वर्ष के नाम माध्यम से आपकी फाइल आसानी से मिल जाएगी, इस प्रकार भूलेखागार कर्मचारियों का समय भी बर्बाद नहीं होगा,जिससे हमारे सहयोगियों को भी अपने सम्बंधित कागजात देखने को मिल जाएगा। इस प्रकार अपनी थोड़ी सी सूझबूझ के माध्यम से अपना बेशकीमती की बचत कर सकते हैं।इतना ही नहीं आप काश्तकार के दिमाग पर एक अजीबोगरीब छाप छोड़ देंगे।जिसका  फल आपको भविष्य में अवश्य मिलेगा।
एक अधिवक्ता का परम् लक्ष्य होना चाहिए: -" हमारा उद्देश्य होना, काश्तकारों की सन्तुष्टि ही अपने जीवन की सफलता।आखिर वही हमारे अन्न दाता हैं।"

चलिये हम आपको बताते हैं कि साधारण वर्ष से फसली वर्ष (Fasli varsh )कैसे तैयार करतें व इसका चलन कब से हुआ। ज

कृषि वर्ष या फसली वर्ष :-कृषि वर्ष से अभिप्राय उस वर्ष से है जो 1 जुलाई से प्रारंभ होकर 30 जून को समाप्त होती है ।कृषि वर्ष को फसली वर्ष भी कहते हैं।अकबर ने  शासन संभालते ही अनुभव किया कि"जब तक किसानों के जीवन स्तर को उच्च नहीं बनाया जाता तब तक एक अच्छे शासक का दर्जा हासिल करना खुद के घर मे चौरी करना जैसा,अच्छा शासक वही है जिसके शासन में कृषक सुखी हो,जब कृषक सुखी होता है तो सर्वजन सुखाय खुद दिखने लगता,
प्रथम कदम
 भविष्य के कार्य के लेखा जोखा के लिए कोई ऐसा साल (संवत्) हो जो फसल और ऋतुओं से मिलता हो एवं हिजरी साल की तरह ,चंद्र मास की तरह न घटे और हिंदू के विक्रम संवत् से अच्छा हो ।उसने 1555 ई.में ऐसे साल की  शुरुआत की और मनमाने तौर पर फसली 963,जो उसके सिंहासनारूढ़ का हिजरी वर्ष था।उस वर्ष को फसली वर्ष कहा।तब से सभी राजस्व कागजात में यही फसली वर्ष चला आ रहा है।हर एक राज्य् का फसली वर्ष वहाँ की जलवायु के अनुसार शुरू होता है।उत्तर प्रदेश में यह 1जुलाई से प्रारंभ 30 जून को समाप्त होता है ।अंग्रेज़ी वर्ष में से 592(जुलाई से दिसंबर) या 593(जनवरी से जून) घटाकर फसली वर्ष या  साल ज्ञात करते हैं।जैसे 1 अक्टूबर 1996को कौन से फसली साल या वर्ष होंगी?
  1996–592=1404फसली वर्ष।
2.18मई 1994 को    फसली वर्ष होगा?
1994–593=14021फसली वर्ष।

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