राजस्व विभाग में खाता व गाटा संख्या क्या है इसका काश्तकारों के जीवन में क्या उपयोगिता है

राजस्व विभाग की शब्दावली में गाटा से अभिप्राय क्या है।
गाटा संख्या को  खसरा संख्या के नाम से भी जानते हैं आपको हम बात दे कि गाटा संख्या का क्रम जब परिवर्तित होता है।जब उस ग्राम की चकबन्दी की जाती है ।हाँ किसी गाटा का खण्डन होना क्रम परिवर्तन नहीं कहलाता है।यह कह सकते हैं की जब तक चकबन्दी नहीं होती है।उनके समस्त गाटे कुछ अपवादों को छोड़कर स्थाई स्थिति में व्याप्त रहते हैं। उदाहरण के लिए माना रमेश के खेत की गाटा संख्या 23 है तो आठ वर्ष उपरांत भी वहीं रहेगी ,क्योंकि वहाँ आठ वर्ष के अंदर चकबंदी प्रक्रिया लागू नहीं हुई है।यदि लागू होती तो  गाटा संख्या 23 भी रह सकता था व परिवर्तन होकर नया गाटा संख्या भी मिल सकता था ,वही आवंटित संख्या उस कास्तकार की नई गाटा संख्या हो जाती ।यह आवंटन प्लाट पर आश्रित रहता है यदि वही खेत रहता है तो खेत नम्बर (23) भी  वही रहता है ।
खाता संख्या : - ग्राम खतौनी के षट वर्ष उपरांत नई खतौनी बनाने पर कुछ खाते बढ़ जाते हैं।जिससे मूल्य खाता नम्बर परिवर्तित हो जाते हैं। इसलिए  खाता  संख्या परवर्तित होता रहता है।जबकि गाटा परवर्तित  होता नहीं रहता है।खंडित होना स्वाभाविक है।लेकिन खाता खंडित नहीं होता है।
उदाहरण - माना उस्मान पुत्र रहीस का ग्राम करनपुर की फसली वर्ष 1419 से 1424 में खाता संख्या 25 थी,जब खतौनी फसली वर्ष 1425 से 14320 की खतौनी का निर्माण हुआ तब उसी काश्तकार का खाता संख्या 25,28,30 होना स्वाभाविक है।लेकिन अनुवार्य भी नहीं है कि खाता संख्या बढ़ें।हो सकता है वर्तमान षट वर्षीय खतौनी में कोई नया खाता कराने के लिए कोई प्रतिवेदन या स्वाभाविक संभावना नियमों के अनुकूल न हो।तब भविष्यत खतौनी में उस व्यक्ति का खाता संख्या पूर्वत रहेगा।अर्थात खाता संख्या 25 ही रहेगा।

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